12th Science Stream Short Long Question

12th Hindi Most VVI Guess Short Long Type Question With Answer इन्टर परीक्षा हिंदी का महत्वपूर्ण प्रशन


BSEB 12th Exam Hindi 100 Marks Model Set Paper इन्टर परीक्षा हिंदी का मॉडल पेपर Short Type Question With Answer

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Short + Long Question (लघु और दीर्घ उत्तरीय प्रशन)


(1) लहना सिंह का प्रेम के बारे में लिखिए । 

उत्तर- लहना सिंह अपनी किशोरावस्था में एक अन्जान लड़की के प्रति “आशक्त हआ था किन्तु वह उससे प्रणय सूत्र में नहीं बन्ध सका । कालान्तर में उस लडकी का विवाह सेवा में कार्यरत एक सुबेदार से हो गया। लहना सिंह सेना में भर्ती हो गया । अचानक अनेक वर्षों के बाद उसे ज्ञात हुआ कि सुबेदारिन ही वह लड़की है जिससे उसने कभी प्रेम किया था सुबेदारिन ने उससे निवेदन किया कि वह उसे पति तथा सेना में भर्ती एकमात्र पुत्र बोधा सिंह की रक्षा करेगा। लहना ने कहा था कि वह उस वचन को निभायेगा और अपने प्राणों का बलिदान कर उसने अपनी प्रतिज्ञा का पालन किया । यही उसका वास्तविक प्रेम था ।


(2) विद्यार्थियों से भगत सिंह की अपेक्षा क्या था ।

 उत्तर- भगत सिंह विद्यार्थियों को राष्ट्र के विकास का महत्त्वपूर्ण कारण मानते हैं । उनका विचार रहा है कि छात्रों को अपने दायित्व का निर्वाह पूर्ण निष्ठा से करना चाहिए । सच्ची लगन, निष्ठा. सच्चरित्रता एवं नैतिक गुणों को अपने जीवन का आदर्श बनाना चाहिए तथा अपनी पढ़ाई पर पूरा ध्यान दमा चाहिए । राष्ट्र को परतन्त्रता की बेड़ियों से मुक्त कराना भी एक प्रकार स उनकी शिक्षा का एक अंग है । भगत सिंह के शब्दों में, “यह हम मानते है कि विद्यार्थियों का मुख्य कार्य पढ़ाई करना होता है, उन्हें अपना पूरा ध्यान उस ओर लगा देना चाहिए, लेकिन क्या देश की परिस्थितियों का ज्ञान और उनके सुधार के उपाय सोचने की योग्यता पैदा करना उस शिक्षा में शामिल नहीं है।” 

इस प्रकार भगत सिंह का विद्यार्थियों के प्रति स्पष्ट अभिमत है कि उन्हें विद्याध्ययन के साथ ही देश की स्वतंत्रता एवं सम्पन्नता की दिशा में ठोस कार्य करने चाहिए। इस कार्य हेतु उन्हें आत्म-बलिदान के लिए भी तत्पर रहना चाहिए ।


(3) “तिरिछ’ किसका प्रतीक है? 

उत्तर- ‘तिरिछ’ छिपकली प्रजाति का जहरीला लिजार्ड है जिसे विषखापर’ भी कहते हैं । इस कहानी में ‘तिरिछ’ प्रचलित विश्वासों और रूढ़ियों का प्रतीक है।


(4) तुलसी की भूख किस वस्तु की है ? 

उत्तर- तुलसी को भक्तिरूपी अमृत के समान सुन्दर भोजन की भुख है । अर्थात् हे प्रभु अपने चरणों में ऐसी भक्ति दे दीजिए कि फिर कोई दूसरी कामना न रह जाए।


(5) नागरिक क्यों व्यस्त हैं ? 

उत्तर- नागरिकों को उदर-भरण की चिंता है । वे स्वार्थ के वशीभूत हैं । उन्हें देश की समस्याएँ नहीं घेरती हैं । वे राष्ट्रीय प्रश्नों से विमुख हैं । उनका दृष्टिकोण सीमित है । वे वैयक्तिक सुख-दुःख में ही व्यस्त हैं । उनकी यह स्वार्थपरता उचित और वांछनीय नहीं है ।


(6) महात्मा गाँधी, जवाहरलाल नेहरू और सुभाषचन्द्र बोस का नाम किस पाठ में आया है। 

उत्तर- महात्मा गाँधी, जवाहर लाल नेहरू, सुभाषचन्द्र बोस का नाम सम्पूर्ण क्रांति पाठ में आया है।


(7) नारी की पराधीनता कब से आरम्भ हुई ? 

उत्तर- जब मानव जाति ने कृषि का आविष्कार किया तो नारी घर में और पुरुष बाहर रहने लगा । यहाँ से जिंदगी दो टुकड़ों में बँट गई । घर का जीवन सीमित और बाहर का जीवन निस्सीम होता गया एवं छोटी जिंदगी बड़ी नारी की पराधीनता आरम्भ हो गई।


(8) ‘धाँगड़’ शब्द का क्या आशय है? 

उत्तर- धाँगड़ शब्द का अर्थ ओराँव भाषा में हैं-भाड़े का मजदूर । धाँगड़ एक आदिवासी जाति है, जिसे 18वीं शताब्दी के अंत में नील की खेती के सिलसिले में दक्षिण बिहार के छोटानागपुर पठार से चंपारण के इलाके में लाया गया था । धाँगड़ जाति आदिवासी जातियों-ओराँव, मुण्डा, लोहार इत्यादि के वंशज हैं, लेकिन ये अपने आप को आदिवासी नहीं मानते हैं। धाँगड़ मिश्रित ओराँव भाषा में बात करते हैं।  धाँगड़ों का सामाजिक जीवन बेहद उल्लासपूर्ण है, स्त्री-पुरुष ढलती शाम के मंद प्रकाश में सामूहिक नृत्य करते हैं।


(9) भ्रष्टाचार की जड़ क्या है ? क्या आप जे० पी० से सहमत हैं ? इसे दूर करने के लिए क्या सुझाव देंगे?

उत्तर- भ्रष्टाचार की जड़ सरकार की गलत नीतियाँ हैं । इन गलत नीतियों के कारण भूख है, महँगाई है, भ्रष्टाचार है, जनता का कोई काम नहीं निकलता है. वगैर रिश्वत दिए । सरकारी दफ्तरों में, बैंकों में, हर जगह, टिकट लेना * उसमें, जहाँ भी हो, रिश्वत के वगैर जनता का काम नहीं होता । हर प्रकार के अन्याय के नीचे जनता दब रही है । शिक्षण संस्थाएँ भ्रष्ट हो रही हैं। हमारे नौजवानों का भविष्य अंधेरे में पड़ा हुआ है । जीवन उनका नष्ट हो रहा है। इस प्रकार चारों ओर भ्रष्टाचार व्याप्त है । जेपी के इस मत से हम पर्णतः सहमत हैं । इसे दूर करने के लिए समाजवादी तरीके से सरकार ऐसी नीतियाँ बनाए जो लोककल्याणकारी हों ।


(10) नागरिक क्यों व्यस्त हैं? क्या उनकी व्यस्तता जायज है? 

उत्तर– नागरिक विजयपर्व मनाने में व्यस्त हैं। उनकी व्यस्तता जायज नहीं है क्योंकि उन्हें यह पता ही नहीं है कि विजय किसकी हुई है। सेना की, शासक की या नागरिकों की । बिना जाने विजयपर्व मनाना अपनी क्षमता का क्षरण करना है।


(11) नारी की पराधीनता कब से आरम्भ हुई? 

उत्तर- जब मानव जाति ने कृषि का आविष्कार किया तो नारी घर में और पुरुष बाहर रहने लगा । यहाँ से जिंदगी दो टुकड़ों में बँट गई । घर का जीवन सीमित और बाहर का जीवन निस्सीम होता गया एवं छोटी जिंदगी बड़ी जिंदगी के अधिकाधिक अधीन होती चली गई । कृषि के विकास के साथ ही नारी की पराधीनता आरम्भ हो गई ।



(12) भगत सिंह को विद्यर्थियों से क्या अपेक्षाएँ हैं ? 

उत्तर- भगत सिंह कहते हैं कि हिन्दुस्तान को ऐसे देशसेवकों की जरूरत है जो तन-मन-धन देश पर अर्पित कर दें और पागलों की तरह सारी उम्र देश की आजादी के लिए या देश के विकास में न्योछावर कर दे । यह कार्य सिर्फ विद्यार्थी ही कर सकते हैं।


(13) ‘शिक्षा’ का अर्थ क्या है? 

उत्तर- शिक्षा का अर्थ जीवन के सत्य से परिचित होना और सम्पूर्ण जीवन की प्रक्रिया को समझने में हमारी मदद करना है । क्योंकि जीवन विलक्षण है ये पक्षी, ये फूल, ये वैभवशाली वृक्ष, यह आसमान, ये सितारे, ये मत्स्य सब हमारा जीवन है । जीवन दीन है, जीवन अमीर भी । जीवन गूढ है जीवन मन की प्रच्छन्न वस्तुएँ इच्छाएँ, महत्वाकांक्षाएँ, वासनाएँ, भय, सफलताएँ एवं चिन्ताएँ हैं । केवल इतना ही नहीं अपितु इससे कहीं ज्यादा जीवन है । हम कुछ परीक्षाएँ उत्तीर्ण कर लेते हैं, हम विवाह कर लेते हैं बच्चे पैदा कर लेते हैं और इस प्रकार अधिकाधिक यंत्रवत बन जाते हैं। हम सदैव जीवन से भयाकुल, चिन्तित और भयभीत बने रहते हैं । शिक्षा इन सबों का निराकरण करती है । भय के कारण मेधा शक्ति कुंठित हो जाती है । शिक्षा इसे दूर करता है । शिक्षा समाज के ढाँचे के अनुकूल बनने में आपकी सहायता करती है या आपको पूर्ण स्वतंत्रता होती है । वह सामाजिक समस्याआ का निराकरण करे शिक्षा का यही कार्य है।


(14) ‘उषा’ कविता में आकाश के बदलते रंगों का वर्णन

उत्तर- कवि कहता है कि जब सूर्योदय से पहले की लालिमा आसमान पर छा जाती है तो ऐसा लगता है कि नीले जल में कोई हलचल पैदा हो रही है । किसी गोरी युवती की सुन्दर देह इस पवित्र जल में हिलती हुई दिखाई देती है । गोरी युवती के शरीर का प्रतिबिम्ब नीले जल में पड़ते ही उसम शुरू हो जाती है और यह जादू जो कि हर किसी के लिए रहस्य बना है अब यह जल्दी ही टूटने वाला है,  कारण स्पष्ट है कि अब सूर्य निकलने वाला है अर्थात् सूर्योदय हो गया है । सूर्य की किरणें धरती पर आ चुकी हैं।


(15) शिवाजी की तुलना भूषण ने मृगराज से क्यों की है ? 

उत्तर- जिस प्रकार हाथी सिंह से ज्यादा शक्तिवाला, भारी भरकम वजनी होते हए भी सिंह द्वारा आखिर मारा जाता है उसी प्रकार हमारे शिवाजी सिंह के समान हैं जो हमेशा दुश्मनों को मार गिराते हैं । यहाँ शक्ति का उतना महत्व नहीं है जितना कि सिंह की चुस्ती-फुर्ती का, उसके मस्तिष्क का । अतः शिवराज भी इसी चुस्ती-फुर्ती से दुश्मनों पर विजय प्राप्त करते हैं इसलिए कवि ने शिवराज की तुलना मगराज से की है।


(16) ‘उसने कहा था’ कहानी में किसने, किससे क्या कहा था ? 

उत्तर- ‘उसने कहा था’ कहानी में सुबेदारनी ने लहना सिंह से कहा कि जिस तरह उस समय उसने एक बार घोड़े की लातों से उसकी रक्षा की थी उसी प्रकार उसके पति और एकमात्र पुत्र की भी वह रक्षा करे । वह उसके आगे अपना आँचल पसार कर भिक्षा माँगती है । यह बात लहना सिंह के मर्म को छू जाती है।


(17) जेपी के अनुसार भ्रष्टाचार की जड़ क्या है?

उत्तर- आज देश को आजादी मिल गई है किन्तु इस गणतंत्र देश में जनता कराह रही है। भ्रष्टाचार है जहाँ जनता का कोई काम नहीं निकलता बिना रिश्वत दिए । सरकारी दफ्तरों में, बैंकों में हर जगह यदि टिकट लेना है तो वहाँ भी रिश्वत के बिना जनता का काम नहीं होता। हर प्रकार के अन्याय बढ़ता जा रहा है और जनता दबी जा रही है। शिक्षा संस्थाएँ भ्रष्ट हो रही है। हजारों नौजवानों का भविष्य अंधेरे में पड़ा हुआ है । जीवन नष्ट हो रहा है और गुलामी की शिक्षा दी जा रही है शिक्षा पाकर लोग दर-दर भटक रहे हैं नौकरी के लिए, फिर भी बिना रिश्वत दिए कहीं नौकरी नहीं मिल पाती ।


(18) नारी की पराधीनता कब से प्रारंभ हुई ? 

उत्तर- कृषि का विकास सभ्यता का पहला सोपान था, किंतु इस पहली ही सीढ़ी पर सभ्यता ने मनुष्य से भारी कीमत चुकानी पड़ी । अर्थात जब मानव जाति ने कृषि का आविष्कार किया तब से नारी की पराधीनता आरम्भ हो गई। कृषि के आविष्कार के चलते नारी घर में रहने लगी। घर का जीवन सीमित और बाहर का जीवन निस्सीम होता गया एवं छोटी जिन्दगी बड़ी जिन्दगी के अधिकाधिक अधीन होती चली गयी । नारी की पराधीनता का यही इतिहास है।


(19) विद्यालय में लेखक के साथ कैसी घटनाएं घटती हैं? 

उत्तर- विद्यालय के हेडमास्टर कड़क स्वभाव के थे। उनकी आवाज सुनते ही बच्चे सहम जाते थे। एक बार हेडमास्टर के बुलाने पर लेखक उनके पास डरते-डरते गये। उनके पूछने पर अपना नाम ओमप्रकाश बताया । जब हेडमास्टर को पता चला कि यह नीच जाति का है तो हेडमास्टर का शोषण होना शुरू हुआ । हेडमास्टर के इशारे पर लेखक ने स्कूल के कमरे बरामदे साफ करने लगे। उसके बाद मैदान साफ करना, सारे बच्चे क्लास में पढ़ रहे थे और लेखक सफाई अभियान में सक्रिय था । लेखक काफी परेशान हो गया था। दूसरे दिन फिर जाते ही हेडमास्टर झाङ का काम लगा दिया था। तीसरे दिन जब वह चुपचाप कक्षा में जाकर बैठ गया तो हेडमास्टर ने उसे घसीटकर बाहर लाया और उसे पूरे मैदान में झाडू लगाने को कहा । वह रोता-विलखता मास्टर के अत्याचार का शिकार होता रहा । अचानक लेखक के पिताजी उस रास्ते से गुजरे और उस स्थिति में उसे देख लिया। पूछने पर ज्ञात हुआ कि हेडमास्टर की यातनाएँ का यह प्रतिफल है। फिर क्या था ? हेडमास्टर और पिताजी में वाक् युद्ध छिड़ गया ।


(20) चम्पारण में गाँधीजी ने शिक्षा-व्यवस्था के लिए क्या किया? 

उत्तर- चंपारण में नील की खेती करने वाले किसान पर जो तरह-तरह के अत्याचार हो रहे थे उसको दूर करने में गाँधीजी की भूमिका महनीय रूप से आलोकित होती है । गाँधी जी ने इस स्थिति को अच्छी तरह से जायजा लिया और विचार व्यक्त किया कि जब तक यहाँ की शिक्षा व्यवस्था ठीक नहीं होगा तब तक अत्याचार की समस्या का समाधान नहीं होगा। उन्होंने चंपारण में शिक्षा की व्यवस्था मजबूत हो इसके लिए कुछ ग्रामीण विद्यालयों की स्थापना करवाई।


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